स्वामी चिन्मयानंद पर गंभीर आरोप लगाकर उनके आश्रम से अलग हुईं साध्वी चिदर्पिता के गृहस्थ आश्रम की गाड़ी भी पटरी से उतर गई है। गुरुवार रात कुछ ऐसा हुआ जो सबने देखा। आवास-विकास की सड़कों पर बचाव के लिए दौड़ती चिदर्पिता को यूं देख सभी दंग रह गए। उन्होंने अपने पति बीपी गौतम पर मारपीट का आरोप लगाया है। एक पड़ोसी की मदद से थाने तक पहुंचीं चिदर्पिता ने फिलहाल गौतम का साथ छोड़ दिया है।
वह अपना सामान समेटकर चली गई हैं। उन्होंने आरोप लगाए है कि गौतम उनके पैसे हड़प चुका है अब उसकी नजर उनके जेवरों पर है, वह जेवर के लिए उन पर दबाव बना रहा था, आए दिन मारपीट करता था। एसपी सिटी पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि चिदर्पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए गए हैं। चिदर्पिता ने अपनी तहरीर में गौतम पर उत्पीड़न, मारपीट करने गाली देने और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया है। तहरीर में चिदर्पिता ने अपने निवास का पता मुमुक्षु आश्रम, शाहजहांपुर दिया है।
बकौल चिदर्पिता गुरुवार की रात उनके सिर में दर्द हो रहा था। इस दौरान गौतम ने उन्हें चार-पांच तमाचे जड़ दिए। आरोप है कि इसके बाद वह कमरे में टंगी बेल्ट से भी चिदर्पिता की पिटाई की। खुद को बचाने के लिए उन्होंने (चिदर्पिता ने) शोर मचाया और घर के सामने रहने वाले अधिवक्ता चंद्रभान गुप्ता के घर में शरण ली। गौतम ने उन्हें घर से बुलाने का प्रयास भी किया लेकिन भीड़ इकट्ठा होने पर ऐसा नहीं हो सका और खुद तड़के ही कहीं गायब हो गया।
दूसरे दिन शुक्रवार को चिदर्पिता ने सिविल लाइंस पुलिस को मामले की जानकारी दी और पुलिस को बताया कि शादी के बाद से ही गौतम उनका एटीएम कार्ड अपने पास रखता था और खाते से रकम निकालकर मनचाहा खर्च करते रहा। उसकी जरूरतें बढ़ती रही और पिछले कुछ दिनों से जेवर बेचने का दबाव बना रहा था। मंशा पूरी न होने पर कई बार गौतम ने उनके साथ मारपीट भी की। शुक्रवार को पुलिस ने गौतम को बुलाकर घर की चाभियां चिदर्पिता को दिलवा दीं। शाम को वह घर खाली करके चली गईं। इससे पहले उनके घर पर पुलिस तैनात कर दी गई थी।
गौरतलब है कि थाना इस्लामनगर क्षेत्र के गांव नूरपुर पिनौनी निवासी बीपी गौतम वर्तमान में शहर की आवास विकास कॉलोनी स्थित ए-201 में रह रहे हैं। उनकी पत्नी चिदर्पिता ने बताया कि अगस्त 2011 में उनकी दिल्ली में गौतम से मुलाकात हुई। एक माह बाद 29 सितंबर को दोनों ने वैदिक रीति से बरेली में विवाह कर लिया। इसके बाद कुछ दिन दोनों तक शहर की श्रीरामनगर कॉलोनी में किराए के घर में रहे। अक्तूबर में आवास-विकास निवासी पीडब्ल्यूडी के अवर अभियंता ओपी आर्या के घर में किराए पर रहने लगे थे।
...तो दोबारा साध्वी बनेंगी चिदर्पिता!
महल से सड़क तक का सफर तय करने वाली चिदर्पिता गौतम दोबारा साध्वी बनने जा रही हैं। उनकी मानें तो स्वामी जी (चिन्मयानंद) का फोन आया था। उन्होंने कहा है जिस हाल में हो चली आओ, तुम्हारे लिए आश्रम के दरवाजे हमेशा खुले हैं। चिदर्पिता का कहना है कि वह अभी असमंजस में हैं लेकिन इस नरक भरी जिंदगी से तो वे अच्छे हैं, जिन्होंने बुरे वक्त पर साथ दिया।
चिदर्पिता को अपने किए पर पछतावा है। कहती हैं कि बीपी गौतम ने उनके साथ छल किया है, उनके विश्वास का गला घोंटा है। गौतम उनसे नहीं, उनके पैसे से प्यार करता है। पैसा खत्म होने के बाद अब वह जेवर ठगने की कोशिश कर रहा था। छोटी-छोटी बातों पर मारपीट करता था।
चिदर्पिता की मानें तो गौतम ने ही स्वामी जी पर कार्रवाई के लिए उन्हें मजबूर किया। लोगों से पता लगा है कि वह उनसे ब्लैकमेलिंग करना चाहता था। स्वामी जी ने इसके बावजूद उनको मोबाइल पर फोन किया। वक्त करीब चार बजे का रहा होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जिस हालत में हो आ जाओ, आश्रम के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं।
यह पूछे जाने पर कि अगला कदम क्या होगा? चिदर्पिता बोलीं- अभी सोचा नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या दोबारा साध्वी बनेंगी तो बोलीं, साध्वी थी और रहूंगी भी। कुछ दिन गृहस्थ आश्रम में आई थी लेकिन इससे बढ़िया तो वही जिंदगी थी। तो क्या उसी जिंदगी में लौट रही हैं पूछने पर कहती हैं, ‘बॉर्डर पर जाकर सोचूंगी।’
धोखा मैंने नहीं, चिदर्पिता ने किया: गौतम
बीपी गौतम का कहना है कि धोखा उन्होंने नहीं, साध्वी ने उनके साथ किया है। जिन चेक की वो बात कर रही हैं वह अगर एक भी बीपी गौतम के नाम कटा हुआ दिखा दें तो पूरी जिंदगी उनकी गुलामी करेंगे। गौतम की मानें तो जो भी खर्च हुआ है वह चिदर्पिता ने अपने ऊपर किया है। वह हाईप्रोफाइल थीं, एसी गाड़ी में चलती थी जबकि इतना सब करना उनकी औकात से बाहर था। वह पियर्स से नहाते हैं, लेकिन चिदर्पिता महंगा साबुन और शैंपू इस्तेमाल करती थीं। अन्य खर्चे भी हाईफाई थे। वह अपना सामान खुद बरेली के माल से खरीदकर लाती थीं। रही बात स्वामी जी पर कार्रवाई की तो उन्होंने अफसरों और कोर्ट में बयान स्वेच्छा से दिए हैं न कि उनके दवाब में आकर।
हां मैंने फोन किया था: चिन्मयानंद
बदायूं। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने स्वीकार किया कि उन्होंने चिदर्पिता को फोन किया था। बोले- चिदर्पिता परेशानी में थीं इसलिए उन्होंने इस कष्ट से बाहर आने को कहा था। अन्य सवालों को वह नो कमेंट कर टाल गए। उन्होंने कहा कि वह इस प्रकरण में कोई भी बात नहीं करना चाहते हैं।
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